Cracked Software क्या होता है?
आधिकारिक डेवलपर के किसी प्रीमियम कम्प्यूटर प्रोग्राम (सॉफ्टवेयर) को किसी अज्ञात प्रोग्रामर द्वारा कुछ बदलाव करके इंटरनेट पर फ्री उपलब्ध करवा दिया जाता है. इस तरह का कम्प्यूटर प्रोग्राम ही क्रेक्ड सॉफ्टवेयर कहलाता हैं. इसे Pirated Software भी कहा जाता है.
इंटरनेट यूजर्स विभिन्न स्रोतों से क्रेक्ड सॉफ्टवेयर को अपने मोबाइल फोन या कम्प्यूटर डिवाइस के लिए मुफ्त डाउनलोड करके बिना किसी एक्टिवेशन के उपयोग करने में कामयाब हो पाता है.
इस तरह के कम्प्यूटर प्रोग्राम्स का जो वास्तविक कोड होता है उसका कुछ हिस्सा इन अज्ञात प्रोग्रामरों द्वारा बदल दिया जाता है. कोड बदलने के बाद ये सॉफ्टवेयर एक्टिवेशन या फिर प्रोडक्ट की के बिना ही इंस्टॉल हो जाते हैं.
आपको इंटरनेट पर सैंकड़ों वेबसाइट मिल जाएगी. जहां से आप अपने किसी भी डिवाइस के लिए क्रेक्ड़ सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर सकते हैं.
और एक पैसा खर्च करे बिना ही प्रीमियम सॉफ्टवेयर्स पर काम करने का लुफ्त उठा सकते हैं.
Cracked Software कहां से डाउनलोड करें?
यह सवाल आपके मन में जरूर उछल-कूद कर रहा होगा. इसलिए, मैंने सवाल को पहले ले लिया है. ताकि आपका मन संतुष्ट होकर इस लेख को आगे पढ़ने के तैयार रहे.
जैसा मैंने ऊपर बताया की इंटरनेट पर सैंकड़ों वेबसाइट्स मौजूद है. जहां पर इस तरह के सॉफ्टवेयर खूब मिलते हैं.
Best Cracked Software Websites
लेकिन, इन वेबसाइट्स को ढूँढ़ना सागर से मोती चुनना है. इसलिए, आपकी सुविधा हेतु मैं यहां पर कुछ Best Pirated Software Websites के नाम बता रहा हूँ.
- Giveaway Radar
- SharewareOnSale
- Giveawayoftheday
- Topwaresale
- Tickcoupon Giveaway
- Techno360
- Techtiplib
- Download.hr
- Mostiwant
- Malwaretips
इस तरह की वेबसाइट्स पर इंटरनेट की भरमार है. अधिकतर यूजर्स ऐसे क्रेक्ड़ सॉफ्टवेयर्स की तलाश में रहते हैं. क्योंकि, प्रीमियम वर्जन हर कोई इस्तेमाल नही कर सकता हैं.
उदाहरण के लिए एक वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर है Wondershare Filmora. इस सॉफ्टवेयर की वास्तविक कीमत करीब ₹5500 भारतीय रुपए है.
लेकिन, 90% ऐसे लोग हैं जो आज फिल्मोरा की क्रेक वर्जन इस्तेमाल कर अपने कम्प्यूटर डिवाइस में वीडियो एडिटिंग कर पा रहे हैं.
और इसी प्रकार विभिन्न कैटेगरी के सॉफ्टवेयर है जिन्हे लोग इंटरनेट से डाउनलोड कर रहे है.
Cracked Software डाउनलोड करने के फायदें
#1 मुफ्त डाउनलोड और इस्तेमाल
फ्री का चाहे कुछ भी मिल जाए. लोग, एक बार तो ट्राई जरूर करते हैं. बस जान नहीं जानी चाहिए.
क्रेक्ड़ सॉफ्टवेयर का सबसे अहम फायदा है यह फ्री ऑफ कोस्ट उपलब्ध होते हैं. कई सॉफ्टवेयर्स का असल दाम हर कोई नहीं चुका सकता है. लेकिन, इनको क्रेक्ड़ करने के बाद ये हर यूजर की पहुँच में आ जाते हैं.
#2 शेयर करना आसान
आप न सिर्फ खुद क्रेक्ड सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल करते हैं. बल्कि, इस सॉफ्टवेयर को अपने दोस्तों तथा मिलने वालों को भी बांट देते हैं. क्योंकि, आपने इसके लिए कोई फीस तो चुकाई नही है. इसलिए, हर कोई इसे शेयर करने में सहजता महसूस करता हैं.
#3 आसान डाउनलोड
यदि आपको इंटरनेट इस्तेमाल करने का अच्छा अनुभव है, तो आपके लिए किसी भी पैड सॉफ्टवेयर का क्रेक्ड़ वर्जन डाउनलोड करना कुछ ही सैकण्ड का काम है.
आमतौर पर सर्च इंजन जैसे गूगल की मदद से किसी भी क्रेक्ड़ सॉफ्टवेयर को आसानी से ढूँढ़्कर उसे डाउनलोड कर सकते हैं.
#4 कभी भी उपयोग करें
पायरेटेड सॉफ्टवेयर्स को डाउनलोड एवं इस्तेमाल करने के लिए किसी की अनुमती लेने की जरुरत नहीं पड़ती है. लेकिन, पीमियम सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करते समय हमें डेवलपर द्वारा निर्धारित नियमों का पूरा पालन करना पड़ता है.
Cracked Software का नुकसान
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. यदि आप किसी क्रेक्ड सॉफ्टवेयर का मुफ्त में उपयोग करने का फायदा लें रहे हैं तो कहीं ना कहीं आपको इसके कुछ नुकसान भी उठाने पढ़ सकते हैं.
नीचे मैं आपको क्रेक्ड सॉफ़्टवेयर से होने वाले कुछ संभावित नुकसानों के बारे में जानकारी दें रहा हूँ.
#1 अपग्रेड नहीं मिलती
जब आप किसी सॉफ्टवेयर को खरिदते हैं तो भविष्य में उस सॉफ्टवेयर की आने वाली नई अपडेट आपको मिलती है. क्योंकि, इस तरह के सॉफ़्टॅवेयर का कनेक्शन सर्वर से रहता है.
लेकिन, क्रेक्ड सॉफ्टवेयर का यह केनेक्शन काट दिया जाता है. इसलिए, जो भी ताजा अपडेट प्रोग्राम्स में की जाती है. उनसे आपको वंचित ही रहना पड़ता है.
#2 गैर-कानूनी काम
क्रेक्ड सॉफ़्टवेयर भले ही हम आसानी से इस्तेमल कर सकते हैं. लेकिन, यह कार्य पूरी तरफ गैर-कानूनी है. विभिन्न देशों में क्रेक्ड सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करना अपराध है.
यदि इस केस में पकड़ा जाता है तो भारी जुर्माना के साथ सजा भी हो सकती हैं. इसलिए, सोच समझकर ही इस तरह के सॉफ्टवेयर्स का उपयोग करना चाहिए.
#3 कोई सपोर्ट नहीं
क्रेक्ड वर्जन का इस्तेमाल करने वाला यूजर कंपनी का यूजर नही होता है. इस दौरान कम्प्यूटर में या फिर प्रोग्राम में कोई त्रुटी आती है तो इसे सही करने के लिए निर्माता या सेलर द्वारा कोई मदद नहीं दी जाती है.
#4 सुरक्षित नहीं
जी हां. डेवलपर्स द्वारा जब किसी सॉफ्टवेयर को क्रेक किया जाता है तो उसकी प्रोग्रामिंग को बदला जाता है ताकि सॉफ्टवेयर का कनेक्शन सर्वर से टूट जाए. कनेक्शन टूट जाने के बाद डेवलपर अपनी जरूरत के अनुसार कोड लिखकर क्रेक्ड सॉफ्टवेयर तैयार करता है.
इस तरह तैयार किया गया सॉफ्टवेयर बहुत खतरनाक हो सकता है. यह आपके पूरे कम्प्यूटर को अपने नियंत्रण में लेकर सारी जानकारी सॉफ्टवेयर डेवलपर को भेज सकता हैं. जो अपने निजी स्वार्थ के लिए इस जानकारी का गलत इस्तेमाल करता है.
#5 वैद्यता नहीं
क्रेक्ड सॉफ्टवेयर कितने दिन का मेहमान है? कहा नही जा सकता है.
मान लिया जाए कंपनी को पता चल चुका है कि उनका प्रोडक्ट क्रेक्ड करके लोग इस्तेमाल कर रहे हैं तो कंपनी अपने कोई भी लाभ न पहुँचने की वजह से प्रोडक्ट को ही बंद कर सकती है.
#6 क्रेश समस्या
ओरिजिनल सॉफ़्टवेयर की तुलना में किसी सॉफ्टवेयर का क्रेक्ड वर्जन जब आप इस्तेमाल करते हैं तो उसके क्रेश होने संभावनाएं बनी रहती है. कई सारे डिवासों में एप मोडिफाई होने के कारण क्रेक्ड सॉफ्टवेयर काम नही करता है और क्रेश होने लग जाता है.
क्या क्रेक्ड़ सॉफ़्टवेयर डाउनलोड करना सही हैं?
किसी भी कंपनी, डेवलपर द्वारा जब एक सॉफ़्टवेयर बनाया जाता है तो यूजर्स द्वारा उस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने एवं इस्तेमाल करने का एक दाम रखा जाता है. क्योंकि, यह सॉफ़्टवेयर दैनिक जरूरत को पूरा करता है.
और हमारे लिए यह समझना भी जरूरी है कि ऐसे सॉफ्टवेयर्स को बनाने के पीछे डेवलपर्स का बहुत ज्यादा समय तथा एवं पैसा भी खर्च हुआ रहता है. इसलिए, इस खर्चे को निकालने के लिए इन सॉफ्टवेयर्स को बेचा जाता है. यानि यह पैड रहते हैं.
लेकिन, जब खुलेआम क्रेक्ड सॉफ्टवेयर बनाए जाते हैं तो इस कार्य से डेवलपर्स को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है और उन्हे मानसिक तनाव भी हो जाता है.
अब आप खुद सोचिए कल आप बड़ी उम्मीद के साथ एक प्रीमियम उत्पाद या फिर सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर लॉन्च करें.
लेकिन, लॉन्च करते ही इस सॉफ्टवेयर का क्रेक्ड वर्जन इंटरनेट पर आ गया. आपके द्वारा बनाया गया सॉफ्टवेयर किसी से मोडिफाई करके इंटरनेट पर फ्री उपलब्ध करवा दिया. क्या आपकी नजर में यह कार्य सही है?
शायद नहीं.
आप गुस्सा करेंगे और पता लगाने की कोशिश करेंगे कि यह कुकृत्य किसने किया ताकि उसे पकड़वाकर सजा दिला पाएं. क्योंकि, यह कार्य गैर-कानूनी है.
लेकिन, इस तरह के कार्य के लिए सजा दिलाना भी आसान नहीं है. जमीनि हकिकत को देंखे तो इस तरह का कार्य करने वाले लोगों को पहचानना और फिर पकड़वाना लोहे के चने चबाना है.
इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मैं कहुँगा कि आपको हमेशा विश्वसनीय और लोकप्रिय स्रोत से ही अपने डिवाइस के लिए सॉफ़्टवेयर डाउनलोड करना चाहिए.
अगर, सॉफ्टवेयर प्रीमियम है तो उसे खरिदकर ही इस्तेमाल करें. इंटरनेट पर उसका क्रेक्ड वर्जन खोजने में समय व्यर्थ ना करें.
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