कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहा किसानों का विरोध प्रदर्शन ख़त्म होता नहीं दिख रहा है. किसान संगठनों और सरकार के बीच अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है.

हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. सरकार के कृषि क़ानूनों में संशोधन का प्रस्ताव ख़ारिज करने के बाद किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन को और तेज़ कर दिया है.

किसानों और सरकार के बीच इस विवाद का राजनीतिकरण भी होने लगा है. दोनों ही पक्षों ने अपना-अपना सोशल मीडिया नैरेटिव सेट करने की कोशिश की है.

हमने कुछ ऐसे ही दावों की पड़ताल की जहाँ इस विवाद को लेकर जानी-मानी हस्तियों के नाम पर दावे किए जा रहे हैं.

क्या ओबामा ने कहा कि मोदी से मिलना शर्मनाक था?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने कार्यकाल के दौरान कई बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले हैं.

सोशल मीडिया पोस्ट पर इन दोनों की तस्वीर वायरल है और उस तस्वीर पर लिखा दिख रहा है कि ओबामा 2014 में मोदी से व्हाइट हाउस में मुलाक़ात को लेकर अफसोस जता रहे हैं.

इन पोस्ट में किसानों के विरोध प्रदर्शन के समर्थन वाले हैशटैग भी हैं.

ये तस्वीर तो असली है और उसी वक़्त की है जब बराक ओबामा और नरेंद्र मोदी व्हाइट हाउस में मिले थे.

हालांकि, ये ट्विटर पोस्ट फ़र्ज़ी है. इस पोस्ट को ख़राब अंग्रेज़ी में लिखा गया है, वर्तनी भी ग़लत लिखी गई है और ओबामा के ट्विटर प्रोफाइल को इस पर एडिट कर लगाया गया है.

ओबामा की ट्विटर टाइमलाइन में भी ऐसा कोई ट्वीट नज़र नहीं है.

जस्टिन ट्रूडो ने किया समर्थन?

जस्टिन ट्रूडो भी तब इस विवाद का हिस्सा बन गए थे जब उन्होंने किसान विरोध प्रदर्शन पर भारत सरकार के रवैये को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी.

भारत सरकार ने भी इस पर सार्वजनिक तौर पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी.

लेकिन, कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की जिसमें ट्रूडो सिख समुदाय के लोगों (भारत में बहुत से किसान सिख हैं) के साथ बैठे दिख रहे हैं.

कनाडा में भारतीय मूल के लोगों की अच्छी-ख़ासी आबादी है और इसमें कई सिख हैं.

लेकिन ये तस्वीर भ्रामक है क्योंकि ये पाँच साल पुरानी है.

पीएम ट्रूडो के दफ्तर ने बीबीसी को इस बात की पुष्टि की और बताया कि फ़िलहाल ट्रूडो दाढ़ी रखते हैं और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही तस्वीर में उनकी दाढ़ी नहीं है.

ये तस्वीर 2015 की है जब वे ओटावा में सिख गुरुद्वारे में गए थे. इस दौरे की ख़बर स्थानीय अख़बारों में भी छपी थी.

ट्रूडो के इस किसान आंदोलन को लेकर जो भी विचार हों, लेकिन ये तस्वीर अपने सही संदर्भ के साथ शेयर नहीं की गई.

राजनाथ सिंह ने किसानों का लिया पक्ष?

सोशल मीडिया पर एक और वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह किसानों के विरोध प्रदर्शन को समर्थन देते नज़र आ रहे हैं.

राजनाथ सिंह इस वीडियो में कहते सुने जा सकते हैं, "अगर मुझे पहले इस प्रदर्शन के बारे में पता होता तो मैं उसी दिन यहां आकर अपना समर्थन दे देता."

कई लोगों ने इस वीडियो को ये कहते हुए शेयर किया है कि इस किसान आंदोलन ने भाजपा में बड़ी दरार पैदा कर दी है.

लेकिन, गूगल सर्च से पता चला कि ये वीडियो 2013 का है जब राजनाथ सिंह विपक्ष में थे और कांग्रेस सरकार के ख़िलाफ़ किसानों के विरोध को समर्थन दे रहे थे.

राजनाथ सिंह ने तब किसानों की स्थिर आय के स्रोत की मांग का समर्थन करते हुए भाषण दिया था और वो उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है.

राजनाथ सिंह कृषि मंत्री भी रह चुके हैं और किसान पृष्ठभूमि से आते हैं, उन्होंने अक्तूबर में कहा था कि उनकी सरकार किसानों के हित के ख़िलाफ़ कुछ नहीं करेगी.

क्या पंजाब के सीएम किसानों के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं?

सोशल मीडिया पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उद्योगपति मुकेश अंबानी की एक तस्वीर वायरल हो रही है. इस तस्वीर में दोनों हाथ मिलाते देखे जा सकते हैं और इसे लेकर दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर किसानों के देशव्यापी बंद से एक दिन पहले की है.

इस पोस्ट में लिखा गया है, "एक तरफ़ तो कांग्रेस किसानों का समर्थन कर रही है और दूसरी तरफ अंबानी से मिलती है, ये कैसी राजनीति है?"

इस पोस्ट का मतलब ये है कि अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी के किसानों को सार्वजनिक तौर पर समर्थन के बावजूद उद्योगपतियों के हित में काम कर रहे हैं जिन्हें नए कृषि क़ानूनों से फ़ायदा होगा.

लेकिन ये तस्वीर अक्तूबर 2017 की है जब अमरिंदर सिंह मुकेश अंबानी से पंजाब में निवेश के मौकों की चर्चा करने के लिए मिले थे.

ये दावा भी ग़लत है कि अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के प्रस्तावों को मान लिया है जिन्हें किसानों ने ख़ारिज कर दिया था.

अमरिंदर सिंह अब भी नए कृषि क़ानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने की मांग का समर्थन कर रहे हैं.