कुछ सबक मुश्किल से सीखने को मिलते हैं. आपकी बीमा पॉलिसी के मामले में यह नहीं होना चाहिए. आपका जीवन बीमा कवर इतना बड़ा जरूर होना चाहिए, जिसमें सभी बकाया देनदारी और भविष्य के लक्ष्य शामिल हो जाएं. पॉलिसी के कुछ अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उदाहरण के लिए, जब आपको पॉलिसी की सबसे ज्यादा जरूरत हो तो इसकी अवधि खत्म नहीं हो जानी चाहिए. ऐसी गलतियों को न करें जिससे क्लेम खारिज हो जाए. अपनों को खोने के बाद परिवार के लिए इससे बड़ा झटका और कुछ नहीं हो सकता है. यहां हम कुछ जरूरी चीजें बताने जा रहे हैं, जिन्हें टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीदते समय ध्यान में रखना चाहिए.
सही जानकारी दें
भरोसा इंश्योरेंस कॉन्ट्रैक्ट की नींव है. यह इसी सिद्धांत पर आधारित है. अगर बीमा कंपनी को यह पता लगता है कि पॉलिसीधारक ने फॉर्म में गलत जानकारी दी है तो इस कॉन्ट्रैक्ट का वजूद खत्म हो जाता है. धूम्रपान नहीं करने वालों के लिए प्रीमियम कम है. लेकिन, धूम्रपान करते हैं तो आवेदन पत्र में 'नहीं' पर टिक करने की भूल न करें.
आदतों या चिकित्सा की स्थितियों के संबंध में कुछ छुपाने से बाद में क्लेम को अस्वीकार किया जा सकता है. अगर धूम्रपान करते हैं या शराब पीते हैं, तो इसका जिक्र करें. अगर आपके परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री रही है तो उसे बताएं. सच को न छुपाएं. इससे प्रीमियम कुछ बढ़ जाएगा, लेकिन इंश्योरेंस का मकसद बना रहेगा. दावा भी खतरे में नहीं पड़ेगा. याद रखें कि हर साल करीब 2 फीसदी लाइफ इंश्योरेंस क्लेम खारिज हो जाते हैं.


मेडिकल टेस्ट कराने पर जोर दें
टर्म प्लान काफी ज्यादा मूल्य वाले कवर होते हैं. इसलिए कंपनियां आमतौर पर पॉलिसी जारी करने से पहले खरीदारों का व्यापक मेडिकल टेस्ट कराती हैं. कुछ मामलों में कंपनियां मेडिकल टेस्ट पर जोर नहीं देती हैं. वे खरीदार से केवल अच्छे स्वास्थ्य की घोषणा करने के लिए कहती हैं. यह बात पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति के खिलाफ काम कर सकती है. असमय मौत के मामले में कंपनी यह कह सकती है कि खरीदार ने अपने स्वास्थ्य के संबंध झूठ बोला. पॉलिसी खरीदने से पहले ही वह बीमारी का शिकार था.
अगर खरीदार मेडिकल टेस्ट की प्रक्रिया से गुजरता है तो पूरी जिम्मेदारी कंपनी और इसे टेस्ट करने वाले डॉक्टर पर आ जाती है. तब कंपनी पॉलिसीधारक के नॉमिनी से बीमा दावे पर विवाद की स्थिति में नहीं रह जाती है. इसलिए केवल उस कंपनी की पॉलिसी लें जो पूरा मेडिकल टेस्ट कराए.

सिर्फ कीमत को न देखें
प्योर टर्म प्लान जीवन बीमा का सबसे सस्ता विकल्प है. कारण है कि इसमें कोई इनवेस्टमेंट कंपोनेंट नहीं होता है. सालाना 8,000-10,000 रुपये में कोई भी एक करोड़ रुपये का कवर खरीद सकता है. लेकिन अकेले कम प्रीमियम निर्णय लेने का कारण नहीं होना चाहिए. इस तरह की बीमा कंपनी से टर्म पॉलीसी खरीदनी चाहिए जिसका क्लेम का निपटान करने का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रहा हो. इस तरह का कवर खरीदने का क्या मतलब है जिसकी कीमत 1,000-2,000 रुपये कम है, लेकिन आपको भरोसा ही नहीं है कि परिवार को क्लेम की रकम मिलेगी या नहीं.
पॉलिसी की अवधि पर ध्यान दें
टर्म प्लान पॉलिसीधारक की असमय मौत होने पर परिवार को आर्थिक मुश्किलों से बचाता है. इसलिए पॉलिसीधारक जब तक काम करता है तब तक बीमा पॉलिसी को उसे कवर करना चाहिए. यह 55 साल से 65 साल तक हो सकता है. कुछ मामलों में यह कवर इससे भी ज्यादा लंबा हो सकता है. आम तौर पर किसी व्यक्ति को 60-65 साल तक कवर लेना चाहिए. 15-20 साल की पॉलिसी लेने का कोई फायदा नहीं है, जो पॉलिसीधारक के 50 से 55 साल के होने पर ही खत्म हो जाए. कुछ कंपनियां 80 से 95 साल तक का कवर देती हैं.

प्रीमियम के भुगतान का तरीका
एक बार जब आप टर्म प्लान खरीद लें, तो रिन्यूवल प्रीमियम चूकने के कारण इसे लैप्स न होने दें. प्रीमियम का भुगतान चूकने से बचने के लिए बैंक की र्इसीएस सुविधा का इस्तेमाल करें. इसमें आपके बैंक खाते से प्रीमियम की तय राशि निर्धारित समय पर कट जाती है. एक और विकल्प है. हर साल प्रीमियम का भुगतान करने के लिए आप अपने क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को स्टैंडिंग आर्डर दे सकते हैं. इस तरह प्रीमियम का अपने आप समय पर भुगतान हो जाता है. आप को केवल क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करने की जरूरत पड़ती है.